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क्षीरोदन्वत्सुकन्या करिवरविनुता नित्यपुष्टाक्ष गेहा ।
The Sri Yantra, her geometric illustration, is a complex image with the universe plus the divine feminine Electrical power. It contains nine interlocking triangles that radiate out within the central issue, the bindu, which symbolizes the origin of generation as well as Goddess herself.
सानन्दं ध्यानयोगाद्विसगुणसद्दशी दृश्यते चित्तमध्ये ।
वन्दे तामहमक्षय्यां क्षकाराक्षररूपिणीम् ।
सा मे दारिद्र्यदोषं दमयतु करुणादृष्टिपातैरजस्रम् ॥६॥
ऐसा अधिकतर पाया गया है, ज्ञान और लक्ष्मी का मेल नहीं होता है। व्यक्ति ज्ञान प्राप्त कर लेता है, तो वह लक्ष्मी की पूर्ण कृपा प्राप्त नहीं कर सकता है और जहां लक्ष्मी का विशेष आवागमन रहता है, वहां व्यक्ति पूर्ण ज्ञान से वंचित रहता है। लेकिन त्रिपुर सुन्दरी की साधना जोकि श्री विद्या की भी साधना कही जाती है, इसके बारे में लिखा गया है कि जो व्यक्ति पूर्ण एकाग्रचित्त होकर यह साधना सम्पन्न कर लेता है उसे शारीरिक रोग, मानसिक रोग और कहीं पर भी भय नहीं प्राप्त होता है। वह दरिद्रता के अथवा मृत्यु के वश में नहीं जाता है। वह व्यक्ति जीवन में पूर्ण रूप से धन, यश, आयु, भोग और मोक्ष को प्राप्त करता है।
As a result many of the gods requested Kamadeva, the god of love to create Shiva and Parvati get married to each other.
तरुणेन्दुनिभां वन्दे देवीं त्रिपुरसुन्दरीम् ॥२॥
Celebrated with fervor in the course of Lalita read more Jayanti, her devotees seek her blessings for prosperity, knowledge, and liberation, finding solace in her numerous kinds and the profound rituals related to her worship.
षोडशी महाविद्या : पढ़िये त्रिपुरसुंदरी स्तोत्र संस्कृत में – shodashi stotram
चक्रे बाह्य-दशारके विलसितं देव्या पूर-श्र्याख्यया
हादिः काद्यर्णतत्त्वा सुरपतिवरदा कामराजप्रदिष्टा ।
यहां पढ़ें त्रिपुरसुन्दरी हृदय स्तोत्र संस्कृत में
मन्त्रिण्या मेचकाङ्ग्या कुचभरनतया कोलमुख्या च सार्धं